बाल आयोग की वर्कशॉप में CM बोले- समाज में बच्चे, किशोर, बालिकाओं की सुरक्षा से ही भारत का भविष्य

भोपाल: मध्यप्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत पढ़ रहे बच्चों को कक्षा 12वीं तक मुफ्त शिक्षा का लाभ मिलने की संभावना है. अभी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत कक्षा 8 वीं तक ही बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है. अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्यमंत्री के सामने प्रदेश में इसका दायरा 12 वीं तक किए जाने और परिवार के साथ पलायन करने वाले आदिवासी बच्चों को दूसरे जिलों में शिक्षा का लाभ दिलाने की व्यवस्था शुरू करने की मांग की है. इस मामले में मुख्यमंत्री ने कहा "कार्यक्रम में मंत्री मौजूद हैं, वह इन विषयों को गंभीरता से समझेंगी."
कार्यशाला में मुख्यमंत्री के सामने रखी मांग
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अनिनियम, पॉस्को को लेकर आयाजित कार्यशाला के शुभारंभ में पहुंचे. कार्यक्रम में मंत्री निर्मला भूरिया भी मौजूद थीं. इसी कार्यक्रम में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोरे ने सरकार से मांग की "नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिनियम के तहत बच्चों को अभी कक्षा 8 वीं तक लाभ दिया जाता है, लेकिन इसके दायरे को बढाकर कक्षा 12 वीं तक किया जाना चाहिए. इससे कक्षा 8 वीं के बाद बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा. प्रदेश में अभी 15 लाख बच्चे आरटीई से लाभान्वित हो रहे हैं. प्रदेश में इस 84 हजार से ज्यादा बच्चे 8 वीं क्लास में पढ़ रहे हैं. हालांकि यह विषय केन्द्र का है, लेकिन राज्य सरकार इसे अमल में लाकर नवाचार कर सकती है."
आदिवासी इलाकों के बच्चों के लिए भी मांग
बाल संरक्षण आयोग का कहना है "इसके अलावा मध्यप्रदेश के 89 ब्लॉक ट्राइबल के हैं. ट्राइबल बच्चों के बच्चे मजबूरी के चलते परिवार के साथ पलायन करते हैं. सरकार को पलायन के बाद दूसरे जिले या प्रदेश में पहुंचने पर बच्चे को शिक्षा का लाभ मिल सके, इसकी व्यवस्था की जाए. हालांकि पिछले साल राज्य शिक्षा केन्द्र ने मध्यप्रदेश से गुजरात पहुंचने आदिवासी क्षेत्र के बच्चों के लिए गुजरात 12 हजार किताबों के सेट पहुंचाए थे."
मुख्यमंत्री ने विभागीय मंत्री पर छोड़ा मामला
कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा "2018 से 2024 के बीच मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल अपराध के मामले में 48 प्रकरण में मृत्युदंड दिया गया है. राज्य सरकार हमेशा ऐसे मामलों को लेकर बेहद सख्त है. जिस समाज में यदि बच्चे, बच्चियां, महिलाएं सुरक्षित हैं, तभी देश का भविष्य है. ऐसे अपराधों से निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है. समाज भी अपनी जिम्मेदारी निभाए." मुख्यमंत्री ने बाल अधिकार आयोग की मांग को लेकर कहा "जो मुद्दा आपने उठाया है, उस क्षेत्र की मंत्री निर्मला भूरिया कार्यक्रम में मेरे जाने के बाद भी मौजूद रहेंगी, वह इसे और अच्छे से समझेंगी."
बच्चे सुरक्षित तभी भारत का भविष्य है
सीएम ने कहा जिस समाज में बच्चे, किशोर, बालिकाएं अगर सुरक्षित हैं तभी भारत का भविष्य है। कई बार मेरे मन में प्रश्न आता है कि भगवान श्री राम को जब विश्वामित्र जी राम लक्ष्मण को मांगने आए थे। उस समय उनकी आयु 11 साल थी। उस समय विश्वामित्र जी ने दशरथ जी की सेना क्यों नहीं मांगी, बच्चों को ही क्यों लिया? उनका ये निर्णय हम सबके लिए रहस्य है।लेकिन, सच्चे अर्थों में रामायण बनने की शुरुआत ही वहीं से होती है। जब वे राम-लक्ष्मण को ले जाते हैं तो बाल मन जिज्ञासु होकर पूछता है कि ये क्या है तो विश्वामित्र जी बताते हैं कि ये ऋषि मुनियों की हड्डियों के ढेर हैं। उनके ऊपर तमाम अत्याचार करके हड्डियों का ढ़ेर बना दिए गए।जैसे ही उनको पता चलता जाता वैसे ही सच्चे अर्थों में यथार्थ के जीवन से उनका परिचय होता जाता है। वे पुरुषार्थी थे तो उन्होंने उन कष्टों को खत्म किया। वो गए कहां थे और पहुंच कहां गए? ये दृष्टि समाज और समाज के माध्यम से गुरु की है। ये समाज की चेतना है कि समाज में उठने वाले सवालों के समाधान का रास्ता कैसे मिलता है ये रामायण हमें बताती है।
मंत्री बोलीं- अनाथ बच्चों के पुनर्वास की जिम्मेदारी आपकी
कार्यक्रम में महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा- बच्चों को न्याय दिलाने के लिए जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है। मैं उनसे कहना चाहती हूं कि समाजसेवा का अवसर बार-बार नहीं मिलता। अपनी पूरी सजगता से बच्चों का संरक्षण हो ये ध्यान रखें। अनाथ बच्चा कहां जाएगा उसका पुनर्वास कहां होगा? ये अधिकार आप लोगों के पास है इस अधिकार से बच्चों के अधिकार संरक्षण का काम करें।जरूरतमंद बच्चे जो आप तक नहीं आ पाए उन तक आप पहुंचें। बच्चे ईश्वर का रूप होते हैं। वह देश का भविष्य हैं यदि हमें प्रधानमंत्री मोदी जी के अनुरुप देश का भविष्य स्वर्णिम बनाना है तो आज के बच्चों के वर्तमान और भविष्य को भी संवारना होगा।
पटवारी बोले- महिलाओं को असली सुरक्षा दीजिए
पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सीएम की बात पर तंज कसते हुए लिखा मुख्यमंत्री जी, झूठे कागजों की ये सच्ची कलाबाजियां तालियां तो बजवा सकती हैं, लेकिन महिला उत्पीड़न के असली आंकड़ों को छुपा नहीं सकतीं! यदि बीजेपी मप्र यह सोच रही है कि दर्ज नहीं करने से महिला अपराध कम दिख जाएगा, तो मप्र को भयभीत करने वाला भ्रम है!