दिल्ली-NCR में लोग आते हैं. उनका सपना होता है कि एक छोटा सा आशियाना हो… सिर के ऊपर छत हो… और जिंदगी की गुजर-बसर ठीक से हो सके, इसके लिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं और कुछ पैसे जुटाकर उसे पूरा करने में जुट जाते हैं, लेकिन उन्हें क्या मालूम जिस कंपनी के जरिए वे जमीन ले रहे हैं वो उन्हें सिर्फ और सिर्फ धोखा दे रही है और उनकी गाढ़ी कमाई का कहीं और ही इस्तेमाल हो रहा है. दरअसल, एक ऐसा ही मामला रियल एस्टेट सेक्टर की दिग्गज कंपनी भूटानी ग्रुप का सामने आया है.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में दिल्ली-NCR में भूटानी ग्रुप और डायरेक्टर्स के यहां छापेमारी की, जिसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. ईडी का कहना है कि छापेमारी से पता चला है कि प्रमोटरों ने निवेशकों से 3500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटा ली, लेकिन उन्हें जो वादा किया गया वो डिलीवर नहीं किया, यानी उन्हें प्लॉट नहीं दिए गए. प्रमोटर्स ने निवेशकों के पैसे सिंगापुर और अमेरिका में निवेश कर दिए. करीब 200 करोड़ रुपए व्यक्तिगत संपत्ति खरीदने में खर्च कर दिए और आय का गबन कर लिया. अब ईडी ने एक्शन लिया है और कई संपत्ति दस्तावेज उसके हाथ लगे हैं, जिन्हें उसने जब्त कर लिया है और आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज कर दिए.

भूटानी ग्रुप और प्रमोटर्स पर दर्जनों FIR हैं दर्ज

एजेंसी ने कहना है कि तलाशी के दौरान दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 15 प्रोजेक्ट के लिए तमाम निवेशकों से 3500 करोड़ रुपए से अधिक जुटाए गए, जिससे संबंधित डॉक्यूमेंट्स मिले हैं. 15 प्रमुख प्रोजेक्ट्स में से बहुत कम डिलीवरी की गई है, जो एक सुनियोजित पोंजी स्कीम और विदेशों में धन की हेराफेरी करने के लिए शेल कंपनियों के नाम पर संपत्ति बनाने का संकेत देती है. इसके अलावा ये भी पाया गया कि 200 करोड़ रुपए से अधिक सिंगापुर और अमेरिका भेजे गए हैं.

डब्ल्यूटीसी ग्रुप और उसके प्रमोटरों के खिलाफ 27 फरवरी को दिल्ली, फरीदाबाद और अन्य स्थानों पर 12 स्थानों पर तलाशी ली गई. भूटानी ग्रुप और प्रमोटर आशीष भूटानी, आशीष भल्ला के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है. ईडी के गुरुग्राम जोनल ऑफिस से ये मामला शुरू हुआ. फरीदाबाद और दिल्ली में इनके खिलाफ दर्जनों एफआईआर दर्ज हैं. एजेंसी ने दावा किया कि प्रमोटरों ने एक आपराधिक साजिश रची और निर्धारित समय के भीतर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया और 10 साल से अधिक समय तक खरीदारों को कोई प्लॉट नहीं दिया, प्लॉट खरीदारों से जुटाए पैसे हड़प लिए.

डब्ल्यूटीसी ग्रुप और भूटानी ग्रुप का संबंध

ईडी का कहना है कि डब्ल्यूटीसी ग्रुप के नाम पर हजारों करोड़ की संपत्ति की पहचान की गई है, इसके अलावा कई फिक्स डिपोजिट फ्रीज किए गए हैं और 1.5 करोड़ रुपए की ज्वेलरी जब्त की गई है. जब्त किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि बड़ी संपत्ति नॉर्मल वैल्यू पर भूटानी समूह को ट्रांसफर की गई थी, जिससे घपला हुआ है. ग्रुप के नकद लेनदेन से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं.

ईडी के मुताबिक, एफआईआर में ये भी आरोप लगाया गया है कि भूटानी ग्रुप ने डब्ल्यूटीसी समूह का अधिग्रहण कर लिया है और फरीदाबाद सेक्टर 111-114 में प्रोजेक्ट को री-लॉन्च किया है, जिससे प्लॉट खरीदारों को भ्रम में रखा गया है और निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है. उन्हें अपनी यूनिट्स को सरेंडर करने के लिए लालच दिया गया है.

भूटानी ग्रुप ने अपनी बचाव में क्या कहा?

भूटानी इंफ्रा ने पुष्टि की है कि उसने फरवरी की शुरुआत में WTC समूह के साथ सभी संबंध तोड़ लिए हैं और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में उसका पूरा सहयोग कर रहा है. कंपनी ने इस बात पर जोर दिया है कि उसका WTC से कोई फाइनेंशियल या ऑपरेशन संबंध नहीं है, जिसमें जमीन और संपत्ति शामिल है. इसके विपरीत कोई भी सुझाव पूरी तरह से गलत और भ्रामक है. कंपनी ने दोहराया है कि WTC के साथ छह महीने तक जुड़ने के दौरान भूटानी इंफ्रा को कोई जमीन या फंड ट्रांसफर नहीं किया गया. फरवरी की शुरुआत में पूरी तरह से डब्ल्यूटीसी से हटने के बाद भूटानी इंफ्रा चल रहे विवाद से अलग है.

हालांकि,डब्ल्यूटीसी के प्रति कोई दायित्व नहीं होने के बावजूद भूटानी इंफ्रा डब्ल्यूटीसी के संकटग्रस्त ग्राहकों को सहायता कर रहा है, जबकि चल रही जांच में आवश्यक जानकारी के साथ ईडी की पूरी तरह से सहायता कर रहा है. कंपनी पारदर्शिता, विश्वास और वर्ल्ड क्लास कॉमर्शियल विकास करने के लिए जानी जाती है, और यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है. साथ ही साथ भारत में निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने वाली ऐतिहासिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट बनाने के अपने विजन पर ध्यान केंद्रित करे हुए है. हालांकि भूटानी ग्रुप के बयान पर डब्ल्यूटीसी ग्रुप ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.