उत्तर प्रदेश के अयोध्या धाम में एक नया इतिहास रचने की तैयारी है. सदियों पुरानी परंपराओं को पीछे छोड़ते हुए पहली बार अयोध्या की पावन भूमि पर शाही जुलूस निकला जाएगा. इस ऐतिहासिक जुलूस का नेतृत्व हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन, जिनका जीवन रामभक्ति, सेवा और संघर्ष का जीवंत उदाहरण रहा है, वह करेंगे. 90 के दशक में जब राम मंदिर आंदोलन पूरे देश में जन-जन के दिलों में आग की तरह फैल रहा था, तब हनुमानगढ़ी के महंत भी इस आंदोलन के केंद्र में थे.

वह उन क्षणों को आज भी याद करते हुए भावुक हो उठते हैं. जब श्रीराम के नाम पर देशवासियों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समय हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीनों को आयोजन में पीछे बैठने का निमंत्रण दिया गया था. सम्मान और गरिमा को सर्वोच्च मानते हुए, पांचों प्रमुखों ने फैसला लिया कि वह आयोजन में शामिल नहीं होंगे.

यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं

हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन भव्य शाही जुलूस के साथ रामलला के दर्शन पूजन के लिए प्रस्थान करेंगे. यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि गौरव, स्वाभिमान और आस्था का अभूतपूर्व संगम होगा. शाही जुलूस की भव्यता देखने योग्य होगी. इसमें सजे-धजे रथ, फूलों की बारिश करती श्रद्धालु कतारें, घंटे-घड़ियाल की ध्वनि और जय श्रीराम के नारों से गूंजता अयोध्या धाम, संतों की अगुवाई में निकलने वाला यह जुलूस सीधे राम जन्मभूमि परिसर पहुंचेगा, जहां गद्दी नशीन रामलला का दर्शन करेंगे और देश व समाज के कल्याण की मंगल कामना करेंगे.

परिक्रमा का भी शुभारंभ किया जाएगा

इसी ऐतिहासिक अवसर पर राम मंदिर परिसर में परिक्रमा का भी शुभारंभ किया जाएगा. यह परिक्रमा श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, तप और साधना की नई राह खोलेगी. अयोध्या के इतिहास में यह दिन स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा, जब श्रद्धा, परंपरा और गौरव ने एक नई भव्यता को जन्म दिया. रामलला की भव्य दिव्यता के बीच, शाही जुलूस की गूंज अयोध्या की हवाओं में अनंत काल तक बनी रहेगी.