रायपुर: छत्तीसगढ़ के बर्खास्त 2,897 बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षक एक बार फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए हैं. हाईकोर्ट के फैसले के बाद इन शिक्षकों को नौकरी से बाहर कर दिया गया है. अब ये शिक्षक अपनी नौकरी बचाने और न्याय की मांग को लेकर नवा रायपुर के टूटा धरना स्थल पर डटे हुए हैं। 

क्या है पूरा विवाद?

10 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि सहायक शिक्षक के पद के लिए सिर्फ डीएड डिग्रीधारी ही पात्र होंगे. इस फैसले के बाद 2,897 बीएड धारक सहायक शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी. इनमें से 56 शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने दूसरी सरकारी नौकरी छोड़कर इस पद पर ज्वाइन किया था. कोर्ट ने सरकार को 15 दिन के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया, जिससे इन शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय हो गया। 

शिक्षकों की मुख्य मांगें 

मांग का ब्योरा- बीएड धारकों को नौकरी से न हटाया जाए, समायोजन किया जाए. नौकरी से बर्खास्तगी का आदेश रोका जाए- समाधान दिए बिना नौकरी से बर्खास्तगी का आदेश रद्द किया जाए। कमेटी की समय सीमा तय की जाए- कमेटी की समय सीमा तय की जाए ताकि फैसला लंबित न रहे। न्याय और सम्मान- सालों की मेहनत ऐसे बर्बाद न हो, न्याय और सम्मान दिया जाए।

धरना स्थल पर गुस्साए शिक्षक

धरना स्थल पर बैठे एक शिक्षक ने कहा, "सरकार ने खुद हमारी भर्ती की, अब कोर्ट के फैसले की आड़ में हमें बाहर निकाल रही है। आखिर इसमें हमारी गलती है या उनकी? जब हाई पावर कमेटी बनी थी तो फैसला जल्दी आ जाना चाहिए था, लेकिन हम अभी भी इंतजार कर रहे हैं।"

एक अन्य शिक्षक ने कहा, "हमारे लिए परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। अगर हमारी नौकरी छीननी ही थी तो पहले क्यों दी गई? तानों के डर से हमें घर से बाहर निकलने में भी शर्म आती है।"

समिति की सुस्ती से शिक्षक नाराज

सरकार ने शिक्षकों की मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं आया है। यही वजह है कि अब शिक्षक भी समिति की सुस्ती से नाराज हैं। वे चाहते हैं कि सरकार इस पर जल्द फैसला ले, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।

आरंभिक लड़ाई का संकल्प

शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि वे अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक विरोध खत्म नहीं होगा। गुरुवार को भी कई शिक्षकों ने विधानसभा की ओर जाने वाली सड़क पर तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया और वहां से गुजर रहे नेताओं का ध्यान अपनी मांगों की ओर खींचा।